
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाउस टैक्स वसूली को लेकर game-changing फैसला लिया है. अब प्रदेश के सभी नगर निगमों में Property Tax Management System (PTMS) लागू होगा, जहां न बहाने चलेंगे और न ही “फाइल गायब” का खेल.
सरल शब्दों में कहें तो, अब हर घर, हर दुकान और हर दफ्तर को मिलेगी एक chip-based smart nameplate और साथ में एक 16-digit Unique Property ID. यानी मकान बोलेगा, डेटा खुद दिखेगा.
One Click में Tax Status – नो लाइन, नो बहाना
सरकार का दावा है कि PTMS सिस्टम से एक क्लिक पर पता चल जाएगा:
- कितना हाउस टैक्स तय है
- कितना बकाया है
- कितना भुगतान हो चुका है
अब न नगर निगम के चक्कर, न बाबू का मूड. सब कुछ online, transparent और traceable.
Chip वाली नेमप्लेट: सिर्फ नंबर नहीं, पूरी कुंडली
नई चिप-युक्त नेमप्लेट में प्रॉपर्टी से जुड़ी हर detail फीड होगी. जैसे ही 16 अंकों की ID डाली जाएगी, सिस्टम खोल देगा पूरी फाइल— “आपका घर, आपकी दुकान, आपका टैक्स और आपकी देनदारी!”
यहीं नहीं, सरकार Google Mapping भी जोड़ रही है ताकि प्रॉपर्टी लोकेशन भी फिक्स रहे. यानी अब “ये मेरा नहीं, पड़ोसी का है” वाला logic भी फेल.
पुराना सिस्टम Out, PTMS In
इस नई व्यवस्था के तहत:
- NIC का पुराना सॉफ्टवेयर बंद होगा
- सारा पुराना टैक्स डेटा PTMS पोर्टल पर शिफ्ट होगा
- प्रदेश की पूरी कर प्रणाली होगी standardized
मतलब साफ है— अब टैक्स वसूली नहीं, टैक्स ट्रैकिंग होगी.
अब तक जो लोग कहते थे—

“भैया, टैक्स तो भर देते, पता ही नहीं कितना है”
अब वही लोग पूछेंगे—
“इतनी detail भी दिखानी जरूरी थी क्या?”
सरकार का पक्ष
नगर आयुक्त गौरव कुमार के मुताबिक, PTMS सिस्टम से टैक्स चोरी पर रोक लगेगी। बकायेदार सीधे पकड़ में आएंगे। नगर निगम की आय बढ़ेगी और सिस्टम बनेगा accountable.
योगी सरकार का यह कदम सिर्फ हाउस टैक्स वसूली नहीं, बल्कि Urban Governance का डिजिटल टेस्ट केस है. अगर यह मॉडल सही चला, तो आने वाले समय में बाकी राज्यों के लिए भी blueprint बन सकता है.
अब घर सिर्फ ईंट-सीमेंट नहीं, डेटा से जुड़ी पहचान भी होगा.
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